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नये संसद भवन संबंधी याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम इंकार

  • कहा जुर्माना नहीं लगा रहे, यही बड़ी बात है

  • याचिका वापस लेने की भी अनुमति नहीं दी

  • उधर समर्थन में आ गये और अधिक दल

राष्ट्रीय खबर

नईदिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने आज उस याचिका को सुनने से ही इंकार कर दिया, जिसमें आगामी 28 मई को प्रधान मंत्री द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन को चुनौती दी गयी थी। याचिका में प्रधानमंत्री को ऐसा करने से रोकने की अपील की गयी थी। जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और पी.एस. नरसिम्हा ने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से याचिकाकर्ता सी आर जया सुकिन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के लिए इच्छुक नहीं थे।

याचिका को तत्काल अवकाश पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया। यूनियन की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हो रहे थे। जब श्री सुकिन ने अदालत से याचिका वापस लेने की अनुमति देने का आग्रह किया, श्री मेहता ने कहा कि वकील तब जा सकता है और इसे किसी अन्य अदालत में दायर कर सकता है और इस मुद्दे को जीवित रख सकता है। श्री मेहता ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय को इसे निर्णायक बनाने के लिए याचिका को खारिज करने को दर्ज करना चाहिए।

कैसे दिखता है नया संसद भवन

नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच गरमागरम और बेहद सार्वजनिक बहस के बीच गुरुवार को श्री सुकिन की याचिका दायर की गई। विपक्ष ने सरकार पर राष्ट्रपति को दरकिनार करने का आरोप लगाया, इस प्रकार प्रथम नागरिक और राज्य के प्रमुख का अपमान किया। खबर है कि 19 विपक्षी दलों ने उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने का फैसला किया है। सरकार ने अतीत में उदाहरणों को याद किया है जब प्रधान मंत्री ने संसद एनेक्सी का उद्घाटन किया था। तो, इस याचिका को दायर करने में आपकी क्या दिलचस्पी है?  न्यायमूर्ति नरसिम्हा ने 26 मई को सुनवाई के दौरान श्री सुकिन से पूछा। वह मेरी राष्ट्रपति हैं। मैं एक नागरिक हूं, श्री सुकिन ने जवाब दिया।

वकील ने संविधान के अनुच्छेद 79 का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि संघ के लिए एक संसद होगी, जिसमें राष्ट्रपति और दो सदन होंगे जिन्हें क्रमशः राज्यों की परिषद (राज्य सभा) और लोगों की सभा कहा जाएगा। न्यायमूर्ति माहेश्वरी ने पूछा, इसमें अनुच्छेद 79 और उद्घाटन समारोह के बीच क्या संबंध है?

शीर्ष न्यायालय की बेंच ने कहा, हमें पता है कि आप ऐसी याचिकाएं क्यों दाखिल करते हैं। हम इस पर विचार नहीं करना चाहते हैं। शुक्रगुजार रहें कि हमने आप पर जुर्माना नहीं लगाया है।  याचिका पर सुनवाई कर रही जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने कहा कि एडवोकेट सीआर जया सुकिन को याचिका दायर करने का अधिकार नहीं है।

इधर, सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता ने याचिका वापस लेने की भी अपील की, लेकिन इसकी अनुमति नहीं मिली। एसजी तुषार मेहता का कहना था, याचिका वापस लेने की अनुमति देने से उन्हें हाईकोर्ट जाने की आजादी मिल जाएगी। यह न्यायपूर्ण नहीं है। कोर्ट को यह देखना चाहिए।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को वहां आमंत्रित नहीं किया गया है, जिसके चलते कांग्रेस, तृणमूल, आम आदमी पार्टी समेत 19 पार्टियों ने इस कार्यक्रम का बहिष्कार किया। 19 पार्टियों के बहिष्कार के बाद सरकार के फैसले के पक्ष में अब 25 पार्टियां हो गई हैं, जो 28 मई को संसद भवन के उद्घाटन समारोह में हिस्सा लेंगी।

ओडिशा की बीजू जनता दल, आंध्र की वाईएसआर कांग्रेस, पंजाब की शिरोमणि अकाली दल ने भाजपा और विपक्षी गठबंधन से समान दूरी रखते हुए नए संसद भवन के उद्घाटन के मौके पर अपनी मौजूदगी का एलान किया है। नवीन पटनायक, जगनमोहन रेड्डी, सुखबीर बादल के इस फैसले से निश्चित तौर पर अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी को राहत मिलेगी। मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा की पार्टी एनपीपी पहले ही रविवार को अपना प्रतिनिधि भेजने की घोषणा कर चुकी है।

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