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साफ्ट रोबोट जो दीवारों और छतों पर चल सकता है

  • कीट की तरह गुरुत्वाकर्षण को चुनौती देता है

  • भविष्य के जटिल ऑपरेशनों में भूमिका होगी

  • इसे इंफ्रा रेड रे से संचालित करन पर काम जारी

राष्ट्रीय खबर

रांचीः रोबोटिक्स की दुनिया में नित नये प्रयोग हो रहे हैं। इसके तहत नये नये किस्म के रोबोटों का आविष्कार भी हो रहा है। अब रोबोटिक्स में खास तौर पर साफ्ट रोबोट बनाने पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है।

दरअसल ऐसे साफ्ट रोबोट की विशेषता यह है कि यह लचीला होता है और इसी वजह से अपने लचीलेपन का लाभ उठाकर कई काम कर सकता है। अब इस दिशा में नई जानकारी मिली है कि वाटरलू विश्वविद्यालय में इंजीनियरों द्वारा विकसित नया रोबोट कीटों के चलने की नकल कर तैयार कर लिया गया है।

यह साफ्ट रोबोट ही है जो पराबैंगनी प्रकाश और चुंबकीय बल का उपयोग किसी भी सतह पर, यहां तक कि दीवारों और छत पर भी रेंग सकता है। छतों पर गुरुत्वाकर्षण के बल को धोखा देते हुए चलने के लिए विशेष शक्ति की आवश्यकता होती है। शोध दल ने इसे तैयार करने के लिए छोटे कीट का चलने की गति को ध्यान से देखा था।

ऐसे इंचवर्म प्रकार के कीट अपने पूरे शरीर का इस्तेमाल कर खुद को आगे बढ़ाते हैं। इसी गुण की वजह से वे छतों पर भी चलते हैं। आम घरों में बारिश के मौसम में नजर आने वाले कंबल कीड़ा इसका एक नमूना है जबकि छिपकिली भी छतों पर पैर चिपकाकर चल सकती है।

शोध दल ने बताया है कि यह अपनी तरह का पहला सॉफ्ट रोबोट है जिसे बाहरी बिजली आपूर्ति से कनेक्शन की आवश्यकता नहीं होती है। इसके जरिए रिमोट ऑपरेशन और संभावित अनुप्रयोगों जैसे कि सर्जनों की सहायता करने और अन्यथा दुर्गम स्थानों की खोज के लिए बहुमुखी प्रतिभा को सक्षम किया जा सकता है। इसके लिए साफ्ट रोबोट में कई और गुण जोड़े जा सकते हैं।

विश्वविद्यालय के केमिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर डॉ. बॉक्सिन झाओ ने कहा कि यह काम पहली बार हुआ है जब एक समग्र सॉफ्ट रोबोट उल्टी सतहों पर चढ़ गया है। प्रोफेसर झाओ नैनो टेक्नोलॉजी विभाग के अध्यक्ष है। झाओ ने कहा कि इससे अत्याधुनिक सॉफ्ट रोबोटिक्स आविष्कार की दिशा में गाड़ी और आगे बढ़ी है।

उनलोगों ने कई अलग-अलग क्षेत्रों में बहुत अधिक विकास के साथ इसकी क्षमता के बारे में आशा व्यक्त किया है। एक स्मार्ट सामग्री से निर्मित रोबोट को शोधकर्ताओं द्वारा गेईवोट का नाम दिया गया है। इसका यह नाम इसलिए रखा गया क्योंकि जीवों ने इसके निर्माण को प्रेरित किया।

इसकी विशेषता यह है कि इसे आणविक स्तर पर बदला जा सकता है कि ईंचवर्म कैसे चिपकते हैं और अपने पैरों पर शक्तिशाली पकड़ के सहारे आगे बढ़ते हैं। यह रोबोट लगभग चार सेंटीमीटर लंबा, तीन मिलीमीटर चौड़ा और एक मिलीमीटर मोटा है।

परीक्षण में एक खड़ी दीवार पर चढ़ गया और छत पर उल्टे लटकते हुए भी आगे बढ़ने में कामयाब रहा। झाओ और उनकी शोध टीम ने लिक्विड क्रिस्टल इलास्टोमर्स और सिंथेटिक चिपकने वाले पैड का उपयोग करके इस रोबोट का निर्माण किया। एक चुंबकीय प्रकाश पट्टी से बना यह रोबोट एक कीड़े की चलन की गति का अनुकरण करती है, जबकि गेको-प्रेरित चुंबक पैड किसी भी छोर पर पकड़ बनाते हैं।

यह कहा गया है कि भले ही दूर करने के लिए अभी भी सीमाएं हैं, यह विकास सॉफ्ट रोबोट के लिए बायोमिमिक्री और स्मार्ट सामग्री का उपयोग करने के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

शोध दल के नेता के मुताबिक यह काम भी बताता है कि विज्ञान के लिए प्रकृति प्रेरणा का एक बड़ा स्रोत है और नैनो टेक्नोलॉजी इसके पाठों को लागू करने का एक रोमांचक तरीका है। ऐसे सॉफ्ट रोबोट मानव शरीर के अंदर रिमोट ऑपरेशन के माध्यम से और बचाव कार्यों के दौरान खतरनाक या दुर्गम स्थानों में संवेदन या खोज के लिए संभावित सर्जिकल अनुप्रयोगों का मार्ग प्रशस्त करता है।

शोधकर्ताओं के लिए अगला कदम पूरी तरह से प्रकाश-चालित चढ़ाई वाले नरम रोबोट को विकसित करना है, जिसके लिए चुंबकीय क्षेत्र की आवश्यकता नहीं होती है और जैव-अनुकूलता में सुधार के लिए यूवी प्रकाश के इंफ्रा रेड किरणों का उपयोग किया जा सके।

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