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माकपा के शिक्षा शिविर में आम जनता के मुद्दों पर चर्चा

रांचीः मोदी सरकार के जन विरोधी बजट के खिलाफ 22 से 28 फरवरी तक व्यापक और सघन अभियान चलाए जाने का फैसला माकपा का दो दिवसीय शिक्षण शिविर आज समाप्त हो गया। आज इस शिविर मे पार्टी संगठन और जनसंगठन पर ज्ञान शंकर मजुमदार ने कक्षा ली।

उन्होंने कहा कि बिना मजबूत पार्टी संगठन के हम आगे नहीं बढ़ सकते है इसलिए पार्टी संविधान मे हमारे सदस्यों के जो दायित्व और कर्तव्य है उसे सख्ती से लागू करना होगा। शिक्षा शिविर के समापन के बाद माकपा राज्य कमिटी की बैठक की गई जिसमें जनविरोधी केंद्रीय बजट के खिलाफ आम लोगों के बीच अभियान चलाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया।

इसमें कहा गया कि संसद मे पेश किए गए केंद्रीय बजट को मोदी सरकार अमृत काल का संकल्प बता रही है। सरकार के इसी धुन पर नाचते हुए भाजपा इस जनविरोधी बजट के पक्ष मे हवा बनाने के काम में जुट गयी है।

केन्द्रीय वित्तमंत्री ने बजट में सुरसा की तरह छंलागे लगाती  महंगाई से परेशान हो रही आम जनता, बढती हुई बेरोजगारी से निराश हो रहे नौजवान, बढते कृषि संकट से दरिद्रता की ओर धकेले जा रहे किसान और महिलाओं समेत वंचित समुदायों को राहत देने के बजाय बड़े धनवानों को  टैक्सों में  भारी छुट देकर उनकी तिजोरियों को ही भरने की घोषणा की है।

इस बजट से सबसे बड़ा फायदा  हमारे देश की आबादी के उन्हीं  एक प्रतिशत बड़े अमीरों को होने जा रहा है जिन्होंने पिछले दो वर्षों मे पैदा की गयी कूल संपदा का 40. 5 प्रतिशत हिस्सा हथिया लिया है। इसलिए यह तथाकथित ‘जन-केंद्रीत’ बजट, वास्तव में हमारी जनता के विशाल बहुमत की आजीविकाओं पर और हमले करने वाले बजट के रूप में ही दिखाई देता है।

आज, जबकि बेरोजगारी की दर ऐतिहासिक ऊंचाई पर है, इस बजट में मनरेगा के आवंटन में 33 फीसद की कटौती कर दी गयी है। खाद्य सब्सीडी में 90,000 करोड़ रु0 की कटौती कर दी गयी है। उर्वरक सब्सीडी में 50,000 करोड़ रु0 की और पैट्रोलियम सब्सीडी में 6,900 करोड़ रु0 की कटौती कर दी गयी है।

महामारी की विनाशलीला के बावजूद, पिछले साल के स्वास्थ्य के आवंटन में से 9,255 करोड़ रु0 खर्च हुए बिना ही पड़े रह गए। इसी प्रकार, शिक्षा के बजट के आवंटन में से, 4,297 करोड़ रु0 खर्च हुए बिना ही पड़े रह गए। आंगनवाड़ी (आइसीडीएस) योजनाकर्मियों के बहुत ही थोड़े भुगतान में भी, कोई बढ़ोतरी नहीं की गयी है।

जैंडर बजट, सरकार के कुल खर्च के 9 फीसद के बराबर ही रखा गया है। अनुसूचित जाति का बजट, सिर्फ 3।5 फीसद रखा गया है, रखा आबादी में उनका हिस्सा 16 फीसद है।

अनुसूचित जनजाति का बजट सिर्फ 2।7 फीसद रखा। आय कर छूट की सीमा, 5 लाख से बढ़ाकर 7 लाख कर के, वेतनभोगी तबके को कुछ राहत दी गयी है लेकिन मुद्रास्फीति से तथा सामाजिक क्षेत्र पर खर्चों में कटौतियों से, इस राहत से ज्यादा छीन लिया जाएगा, क्योंकि अब लोगों को स्वास्थ्य व शिक्षा समेत आवश्यक सेवाओं पर, और ज्यादा खर्चा करना पड़ेगा।

जबकि बजट में रोजगार पैदा करने वाली परियोजनाओं में सार्वजनिक निवेशों में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की जाती। मजदूरी में बढ़ोतरी के साथ, मनरेगा के लिए आवंटन में भारी बढ़ोतरी की जाती।

पांच किलोग्राम मुफ्त राशन के साथ, 5 किलोग्राम सस्ते खाद्यान्न का वितरण बहाल किया जाता। आयकर और पैतृक संपदा कर लगाया जाता। खाने-पीने की वस्तुओं पर और दवाओं समेत आवश्यक मालों पर, जीएसटी हटाया जाता। लेकिन सरकार ने बजट की आड़ मे मेहनतकशों पर ही एक और हमला किया है।

इसलिए इस जनविरोधी बजट के खिलाफ और उक्त मांगों को पूरा किए जाने की मांग को लेकर हमारी पार्टी ने 22 से 28 फरवरी 2023 तक, देशभर में विरोध कार्रवाइयां आयोजित किए जाने का आह्वान किया है आइए इस विरोध कार्रवाईयों को  झारखंड में भी सफल बनाने के लिए लोगों के बीच सघन अभियान चलायें।

पार्टी राज्य कमिटी ने शिक्षण शिविर को जामताड़ा मे सफलतापूर्वक आयोजित किए जाने के लिए स्वागत समिति का अभिनंदन किया। धन्यवाद ज्ञापन पार्टी के जिला सचिव और स्वागत समिति के मंत्री लखन लाल मंडल ने किया।

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