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सदन के बाहर कांग्रेस हुई आक्रामक कहा मामले की जांच संसदीय समिति करे

  • यह अमृत काल नहीं मित्र काल चल रहा है

  • जनता का पैसा कहां, यह जानने का हक है

  • विजय चौक पर प्रदर्शन में विपक्ष के नेता आये

नयी दिल्ली: कांग्रेस ने कहा है कि भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) और सरकारी क्षेत्र के बैंकों के शेयरों में लगाया गया आम लोगों की धनराशि डूब गयी है और यह सब हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के कारण हुआ है इसलिए सरकार को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से या उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित जांच समिति से इस रिपोर्ट को लेकर व्यापक जांच करानी चाहिए।

श्री खड़गे ने इससे पहले विजय चौक पर विपक्षी दलों के कई नेताओं के साथ पत्रकारों को भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि जिस कंपनी पर सरकार ने लोगों का पैसा लगाया उसके शेयर बहुत गिर गये हैं और इससे लोगों को भारी नुकसान हुआ है।

सवाल है कि सरकार इस तरह की कंपनियों को क्यों पैसा दे रही है। सरकार को लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए इस मामले की जांच के जेपीसी का गठन करना चाहिए या सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की देखरेख में एक निष्पक्ष जांच समिति बनाकर रिपोर्ट की जांच हो।

कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने गुरुवार को यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह मामला अत्यंत गंभीर है और जेपीसी या शीर्ष न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित जांच समिति से इसकी जांच की जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि अमेरिकी संस्था हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर बिगेस्ट एवर कॉरपोरेट कॉन का आरोप लगाया गया है, लेकिन मोदी सरकार ने इस रिपोर्ट पर ऐसी चुप्पी साध रखी है, जैसे कुछ हुआ ही न हो।

उन्होंने कहा कांग्रेस नेता राहुल गांधी जब सूट बूट की सरकार, हम दो, हमारे दो और अब मित्र काल की बात करते हैं, तो वह किसी उद्योगपति के बारे में नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बनाई व्यवस्था की बात करते हैं जिसमें वह अपने चुने हुए दोस्तों को देश लूटने की छूट देते हैं।

हम किसी खास भारतीय कॉरपोरेट घराने नहीं बल्कि क्रोनी कैपिटलिज्म के खिलाफ हैं। जब चुनिंदा अरबपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए नियम बदले जाते हैं तो कांग्रेस उसके खिलाफ है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ट्वीट किया करोड़ों लोगों का पैसा एलआईसी और राष्ट्रीय बैंकों में लगा है।

क्यों सरकार ऐसी कंपनियों में सरकारी संस्थानों को निवेश या कर्ज देने को मजबूर करती है जिनका हिंडनबर्ग रिपोर्ट में ख़ुलासा किया गया है। हमारी माँग है कि जेपीसी का गठन हो या सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के देख-रेख में एक निष्पक्ष जांच हो, जिसकी रिपोर्ट दिन-प्रतिदिन सार्वजनिक हो।

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