Breaking News in Hindi

अमेरिकी पाइलट का अब हुआ सम्मान तो जानकारी मिली

  • ऊपर नीचे के खेल में सोवियत विमान पिछड़ गये

  • चारों जहाजों को इसी खेल में ध्वस्त कर दिया

  • विमान को उतारा तो उसमें 263 छेद पाये गये

वाशिंगटनः चार सोवियत संघ के विमानों को 1952 में मार गिराने की खबर तो आयी थी। लेकिन अमेरिकी सेना की तरफ से यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि इन चार फाइटर जेट विमानों को इतने कम समय में कैसे ध्वस्त किया गया था।

अब इतने साल बीत जाने के बाद इस काम के लिए रॉयस विलियम्स का नाम सामने आया है। उन्होंने खुद भी इस राज को अब तक छिपाये रखा था। मामला सामने आने के बाद उन्होने कहा कि चारों सोवियत विमानों को गिराने में मात्र दस मिनट का समय लगा था।

अब विलियम्स की उम्र 97 साल की है। उन्हें नेवी क्रास के सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है। गत शुक्रवार को उन्हें देश की दूसरा शीर्ष सम्मान दिये जाने के मौके पर इस बात की जानकारी लोगों को मिली। पूरे घटनाक्रम को भी इस मौके पर विस्तार से बताया गया।

यह बताया गया कि 18 नवंबर 1952 को विलियम्स एक एफ9एफ पैंथर विमान उड़ा रहे थे। वह अमेरिकी सेना का पहला फाइटर जेट श्रेणी का विमान था। कोरिया में जारी युद्ध के दौरान ही उसे एक अभियान पर भेजा गया था। उनका जहाज अमेरिकी नौसेना के जहाज यूएसएस ओरिसकानी से उड़ा था।

उत्तरी कोरिया के समुद्री तट से करीब सौ मील की दूरी पर अमेरिकी नौसेना के तीन और जहाज भी थे। उस वक्त विलियम्स की उम्र 27 साल की थी। वह अपने तीन अन्य सहयोगी पाइलटों क साथ उत्तरी इलाके में भेजे गये थे। चीन से उत्तरी कोरिया को अलग करने वाले यालू नदी के पास ही एक विमान में तकनीकी गड़बड़ी आ गयी।

इसलिए उस विमान को वापस लौटना पड़ा। विलियम्स और एक विमान के हवा में होने के दौरान ही उन्हें सोवियत मिग विमान नजर आये। सोवियत विमानों में सीधे फायरिंग कर दी। इसके बाद विलियम्स ने सबसे पीछे चल रहे सोवियत विमान के पिछले हिस्से पर फायरिंग की।

इससे वह विमान नीचे गिर गया। उन्नत श्रेणी के सोवियत विमानों को वह अपने विमान के उस गुण से पछाड़ते रहे वरना गति और ऊपर उडने में सोवियत विमान बेहतर थे। लगातार स्थान बदलने की वजह से सोवियत विमानों को उनपर सही निशाना लगाने का मौका ही नहीं मिल रहा था।

सामने से आते एक सोवियत विमान के पाइलट को विलियम्स की गोली लगी और विमान में ही उसकी मौत हो गयी। इसके बाद शेष दो विमान इस तकनीक से बच नहीं पाये और निशाने पर आ गये। इस बीच उनके विमान को भी चोट लगी, जिस कारण विमान सिर्फ ऊपर नीचे जा सकता था।

इस बीच चौथा सोवियत विमान भी उनके निशाने पर आ गया। विलियम्स बताते हैं कि इन चार विमानों के खत्म होने के बाद असली परेशानी हुई। वह जब लौट रहे थे तो दुश्मन का हवाई जहाज समझकर अमेरिकी नौसेना के एक जहाज ने उस पर फायरिंग शुरु कर दी।

गनीमत था कि जल्द ही इस गलती का पता चल गया और फायरिंग रूक गयी। नौसेना के जहाज पर उतरने की हवाई पट्टी पर अपने क्षतिग्रस्त विमान को उतारने में सबसे अधिक परेशानी थी क्योंकि जरा सी चूक में उनका हवाई जहाज आगे जाकर समुद्र में गिर सकता था।

चूंकि उनका विमान दाहिने या बायें नहीं जा सकता था। इसलिए जहाज के कैप्टन ने अपनी जहाज को उनके उतरने की सीध में लाने का काम किया। हवाई जहाज को आगे समुद्र में गिरने से रोकने के लिए लोहे की जालियों की कतार लगायी गयी थी।

विमान के इस हालत में उतरने के बाद इस जाली की अंतिम पंक्ति में विमान रूक पाया। वहां पर पाया गया कि विलियम के हवाई जहाज में कुल 263 छेद है। उसकी हालत देखने के बाद नौसेना कमांडर ने इस जहाज को समुद्र में फिंकवा दिया। इस युद्ध के बीत जाने के सत्तर साल बाद सेना ने विलियम्स को और ऊंचा सम्मान देने का फैसला लिया। इसी वजह से यह पूरी कहानी सामने आ पायी।

Leave A Reply

Your email address will not be published.