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जापान की सरकार को सता रही है जनसंख्या की चिंता

टोक्योः जापान की सरकार अपने नागरिकों को वंशवृद्धि के लिए उत्साहित और प्रेरित कर रही है। दरअसल विकास की होड़ में बहुत आगे निकल जाने के बाद अब जापान की जनसंख्या तेजी से घटती जा रही है। वहां जन्मदर गिरने की वजह से आने वाले समय में कई किस्म की सामाजिक विसंगति पैदा होने का भी खतरा उत्पन्न हो गया है।

खुद जापान के प्रधानमंत्री ने लोगों को इस खतरे के बारे में आगाह किया है। प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा ने कहा कि अगर अब भी लोग नहीं संभले तो बाद में यह स्थिति पूरी तरह हाथ से निकल जाएगी।

प्रधानमंत्री ने देश के लोगों से अपील की है कि वे अन्य कार्यो के साथ साथ आबादी के संतुलन को बनाये रखने के लिए परिवार में वंशवृद्धि के लिए भी पूरा ध्यान दें। सरकार ने इसी वजह से अब बच्चों के संबंधित सारी योजनाओं का खर्च बढ़ाकर दोगुणा कर दिया है।

अभी जापान दुनिया में जन्मदर के मामले में सबसे पिछड़ गया है। देश के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 1899 के बाद से पहली बार देश में बच्चों के पैदा होने की संख्या पिछले वर्ष आठ लाख से भी कम रही है। दूसरी तरफ जापान में लोगों की औसत आयु भी दूसरे देशों की तुलना में अधिक है।

आंकड़ों के मुताबिक वहां के प्रति डेढ़ हजार लोगों में एक व्यक्ति ऐसा है, जिसकी उम्र एक सौ वर्ष से अधिक है। इस जन्मदर असंतुलन की वजह से अब देश में काम करने वालों की संख्या तेजी से कम हो रही है।

इस बारे में विशेषज्ञों ने बताया कि विकास की अंधी दौड़ में शामिल जापान में अब जीवन बसर करने का खर्च ही इतना बढ़ गया है कि अनेक परिवार बच्चे पालने की आर्थिक हैसियत मे नहीं है।

इसके अलावा बेहतऱ इलाकों में रहने के लिए स्थान का भी जबर्दस्त अभाव हो गया है। ग्रामीण इलाको में रहने वालों को पास पड़ोस और करीबी रिश्तेदारों का समर्थन मिल जाता है लेकिन शहरी आबादी के लिए यह सुविधा उपलब्ध नहीं है।

काम और आधुनिक तरक्की से पीछे भागते युवा अब शादी को दूसरी प्राथमिकता मानने लगे हैं। दूसरी तरफ देश की आर्थिक स्थिति भी बहुत बेहतर अवस्था में नहीं है। वहां के लोगों की पारिवारिक आय भी अब घटकर 43 हजार डॉलर प्रति वर्ष रह गयी है। ऐसे में विवाहित जोड़े बच्चा पैदा करने की सोच तक नहीं रहे हैं।

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