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तीन देशों की लापरवाही से दम तोड़ रही है ड्रिना नदी

विसेगार्ड: नदी के किनारे पर लाखों टन कचड़ा जमा होने की वजह स अब तीन देशों के बीच से गुजरने वाली ड्रिना नदी तथा उसके दूसरे जलस्रोत भी दम घुटकर मरने की स्थिति में पहुंच गये हैं। इन तमाम नदियों में अब जीवन नहीं के बराबर रह गया है। साथ ही नदियों का जल भी प्रदूषित हो गया है।

इस नदी के दोनों किनारों पर जो अव्यवस्थित तरीके से कचड़ा डाला जा रहा है, उसकी वजह से यह आशंका है कि यह नदी ही दम तोड़ देगी। पूर्वी बोस्निया के इलाके में इसकी स्थिति सबसे अधिक दयनीय है। नदी के किनारे अवैज्ञानिक तरीके से डाले गये इन कचड़ों के ढेर में पानी को प्रदूषित करने वाले अनेक रसायन भी हैं।

वैसे इन किनारों से गुजरने वालों को वहां प्लास्टिक के बोतल, जंग लगे बैरल, पुराने टायर, घर के पुराने फर्नीचर सहित दूसरे किस्म के कबाड़ दिख जाते हैं। इन कचड़ों का असर ड्रिना नदी के जल प्रवाह पर पड़ रहा है। इस नदी पर बोस्निया ने एक जल विद्युत केंद्र भी स्थापित कर रखा है।

इस बिजली केंद्र को संचालित करने के लिए एक डैम भी बनाया गया है। अब कचड़ों के ढेर की वजह से उस पर भी खतरा मंडरा रहा है। यह नदी बोस्निया के अलावा सर्विया और मोंटेनेगरो से होकर गुजरती है। इन देशों में भी नदी को बचाने की दिशा में कोई पहल नहीं की है।

यानी कुल मिलाकर तीन देशों का कचड़ा इस नदी के दोनों किनारों पर एकत्रित होता जा रहा है। लाखों टन कचड़ा अब पहाड़ की शक्ल ले चुका है। बीच बीच में बारिश और मौसमी वर्षा की वजह से नदी के थोड़ी बहुत सफाई हो जाती है। फिर भी स्थानीय लोग भी अब इसकी वजह से मौसम में होने वाले बदलाव को महसूस कर पा रहे हैं।

उत्तर पश्चिमी मोंटेजेनेरो पर्वत माला से प्रारंभ होने वाली यह ड्रिना नदी 346 किलोमीटर का सफर तय करती है। हाल के वर्षों में इसके दोनों छोर पर करीब दस हजार घन मीटर कचड़ा एकत्रित हो गया है। अब परेशानी यह हो गयी है कि जिस गति से नदी के दोनों किनारों पर कचड़ा एकत्रित किया जा रहा है, उसके निष्पादन की कोई व्यवस्था नहीं है। इससे नदी का पानी भी प्रदूषित हो रहा है। जिस कारण इस नदी के किनारे बसी आबादी भी इससे प्रभावित होने लगी है।

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