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आधुनिक मानव पहली बार देखेगा हरे रंग का धूमकेतु

  • पत्थर युग में इससे पहले गुजरा था

  • पिछले साल ही इसकी खोज हुई थी

  • आगामी दो फरवरी को खुली आंखों से दिखेगा

राष्ट्रीय खबर

रांचीः यह धूमकेतु धरती के आसमान के ऊपर से तब गुजरा था जब हम पूरी तरह विकसित नहीं हुए थे। खगोल विज्ञान के मुताबिक इस धूमकेतु की विशेषता यह है कि यह खुले आसमान में हरे रंग का नजर आता है। आधुनिक खगोल विज्ञान में इस रंग का धूमकेतु इससे पहले कभी खुली आंखों से नहीं देखा गया है।

इस धूमकेतु का नाम सी/2023 ई 3 (जेड टी एफ) रखा गया है। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने उसकी धुरी का पता लगाया है। जिसके मुताबिक इससे पहले यह लाखों साल पहले धरती के करीब से गुजरा था। वैज्ञानिक गणना के मुताबिक अपनी धुरी को पूरा करने में यह 18,930,412 दिन का समय लेता है।

इस आधार पर यह माना जा रहा है कि इससे पहले जब यह धरती के करीब से गुजरा था तो उस वक्त पृथ्वी पर पत्थर युग चल रहा था। उस दौरान हमारे पूर्वज इंसान होमो सेपियंस या नियनडरथैल प्रजाति के लोग पत्थरों का औजार इस्तेमाल कर रहे थे।

नासा के जेट प्रॉपल्सन लैब ने इसके आंकड़े जारी किये हैं। इसी आधार पर यह माना गया है कि इतने वर्षों बाद यह धूमकेतु फिर से पृथ्वी के करीब से गुजरने वाला है। इससे पहले जब यह पृथ्वी के करीब से गुजरा था उस वक्त शायद कुछ इलाकों में उस काल के इंसानों की बस्ती बनने लगी थी लेकिन तब भी मूल रूप से मानव गुफा में रहते हुए पत्थरों के औजारों का इस्तेमाल ही कर रही थी।

इसके बारे में बताया गया है कि यह हमारे सौरमंडल का हिस्सा नहीं है। यह हमारे सौरमंडल में पचास हजार वर्षों में एक बार प्रवेश करता है। इस बार वह सूर्य के करीब 12 जनवरी को देखा गया था। उस वक्त भी सूर्य से उसकी दूरी करीब एक सौ मिलियन मील थी।

धरती के लोगों के लिए सुखद सूचना यह है कि इसी धुरी पर आगे बढ़ते हुए वह आगामी 2 फरवरी को पृथ्वी के सबसे करीब होगा। उस वक्त धरती से उसकी दूरी करीब 26 मिलियन मील होगी।

इतिहास के पन्नों के आधार पर खगोल वैज्ञानिकों ने माना है कि इससे पहले जब यह इसी धुरी पर से गुजरा था जब शायद इंसान अफ्रीका छोड़कर एशिया की तरफ बढ़ने लगे थे। हो सकता है कि उस दौर की होमो सैपियंस की प्रजाति के लोगों ने आसमान पर इस हरे रंग के पूछल्ली रोशनी को देखा हो।

लेकिन वे इतने विकसित नहीं थे कि इसके बारे में कोई और जानकारी हासिल कर पाते। अनुमान है कि धरती के करीब से गुजरते हुए इसे खुली आंखों से देखा जा सकेगा। वैज्ञानिकों ने बताया है कि फरवरी में यह उत्तर पश्चिमी दिशा के आसमान पर खुली आंखों से देखा जा सकेगा।

हरे रंग का होने की वजह से उसकी पहचान करना भी कठिन नहीं होगा। दक्षिणी गोलार्ध के क्षितिज पर होने की वजह से यह और साफ नजर आयेगा। इस धूमकेतु की खोज मार्च 2022 में ब्रायस बोलिन और फ्रैंक मास्की ने की थी। उस समय यह जूपिटर ग्रह के करीब था। पहले तो उसे एक उल्कापिंड समझा गया था लेकिन रोशनी में फेरबदल होते जाने की वजह से यह स्पष्ट हुआ कि यह एक धूमकेतु है जो बाहरी सौर जगत से हमारे इलाके में आ रहा है।

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