Breaking News in Hindi

सिक्किम का यह अजीब झील जहां पानी जमता नहीं

  • पौराणिक कहानी भी जुड़ी है इसके साथ

  • पानी क्यों नहीं जमता है, यह स्पष्ट नहीं

  • स्थानीय इसे धरती का स्वर्ग कहते हैं

राष्ट्रीय खबर

शिलिगुड़ीः पास के राज्य सिक्किम को एक प्रमुख पर्यटन केंद्र माना जाता है। वहां के अनेक ऐसे पर्यटन स्थल हैं जहां सालों भर देस विदेश के पर्यटक आना चाहते हैं। इनमें से कुछ ऐसे हैं जहां ठंड के मौसम में जबर्दस्त बर्फवारी की वजह से पहुंचना संभव नहीं होता। इनमें नाथुला चौकी प्रमुख है।

इस चौकी की खासियत यह है कि इसे भारतीय सेना ने चीन से 1962 के युद्ध में जीता था। लेकिन उत्तरी सिक्किम का गुरुडंगमार झील अपने आप में एक अजूबा है। इस झील का प्राकृतिक सौंदर्य अद्भूत है। लेकिन इस झील की सबसे बड़ी विशेषता यहां के पानी का नहीं जमना है।

कड़ाके की ठंड में जब आस पास के सारे इलाके बर्फ से ढंक जाते हैं, तब भी इस झील का पानी नहीं जमता है। स्थानीय लोग भी इसकी सुंदरता की वजह से इसे धरती का स्वर्ग भी कहते हैं। करीब 290 एकड़ में फैले इस झील के चारों तरफ बर्फ से ढंके पहाड़ हैं।

इसके बाद भी इस झील का पानी कभी भी नहीं जमता। यह देखा गया है कि तापमान शून्य से बीस डिग्री नीचे चले जाने के बाद भी झील का पानी जमा नहीं है। इस वजह से स्थानीय लोग इसे ईश्वरीय स्थान मानते हैं और उसके सम्मान के प्रति काफी सजग रहते हैं।

स्थानीय लोगों के लिए पानी का मूल स्रोत भी यही है। धार्मिक पर्यटन के लिहाज से यहां हिंदू और बौद्ध के अलावा सिक्ख भी आते हैं। इस झील के बारे में किंवदंति है कि गुरु पद्मसंभव जब तिब्बत से लौट रहे थे तो स्थानीय लोगों ने उनसे अपनी पानी की समस्या बतायी थी।

लोगों के अनुरोध पर गुरु ने इस झील के एक हिस्से को अपने हाथ से स्पर्श किया था। उसके बाद से झील का पानी कभी जमकर बर्फ में तब्दील नहीं होता है। इस झील के चारों तरफ सफेद रंग के झंडे लगते रहते हैं। पास में ही एक मंदिर भी बना है, जहां श्रद्धालु जाते हैं।

समुद्री सतह से करीब 17 हजार आठ सौ फीट की ऊंचाई पर स्थित यह झील दुनिया का अन्यतम सबसे ऊंचाई वाले झीलों में से एक है। वैसे यहां आने वालों को सांस की परेशानियों से गुजरना पड़ता है। कई बार सड़क पर भूस्खलन होने की वजह से भी यहां पहुंचने के रास्ता कई दिनों तक बंद हो जाता है।

समझा जाता है कि वहां की तेज हवा की वजह से आस पास के रंग बिरंगे फूल भी यहां की सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं। खास तौर पर अप्रैल से लेकर मई माह के बीच यहां पर्यटकों की सबसे अधिक भीड़ होती है। लेकिन कई बार उस मौसम में भी अचानक तापमान गिरने अथवा बर्फीला तूफान होने का पूर्व रिकार्ड मौजूद है। सिक्किम की राजधानी गंगटोक से यह झील करीब 190 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.