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नाक की वैक्सिन को केंद्र सरकार ने अनुमति प्रदान की

  • सिर्फ निजी अस्पतालों में प्राप्त होगा

  • इसकी कीमत अब तक तय नहीं हुई

  • भारत बॉयोटेक ने बनायी है यह वैक्सिन

राष्ट्रीय खबर

नईदिल्लीः केंद्र सरकार ने नाक में लिये जाने वाले कोरोना वैक्सिन के प्रयोग को अपनी मंजूरी दे दी है। प्रारंभिक तौर पर यह वैक्सिन सिर्फ निजी अस्पतालों में ही उपलब्ध होगी और अब तक उसकी कीमतों के बारे में केंद्र सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया है।

सिर्फ निजी अस्पतालों में यह वैक्सिन लेने की सुविधा होने का केंद्र का फैसला प्रारंभ से ही आलोचनाओं के केंद्र में है। आम तौर पर सरकारी अस्पतालों में अधिक आधारभूत संरचना होने की वजह से ऐसे वैक्सिन पहले सरकारी अस्पतालों को उपलब्ध कराये जाते हैं।

कुछ जानकार केंद्र सरकार के इस फैसले को फिर से आपदा में लाभ कमाने की प्रवृत्ति से जोड़कर देख रहे हैं। कोरोना की दूसरी लहर में दवा, ऑक्सीजन और वैक्सिन तक की कालाबाजारी को देश ने न सिर्फ देखा है बल्कि झेला भी है। वैसे नाक की इस वैक्सिन की कीमत के बारे में केंद्र का कहना है कि शीघ्र ही इसकी कीमत का निर्धारण भी कर लिया जाएगा। देश में फिर से मंडराते कोरोना के संकट के बीच ही यह फैसला लिया गया है।

बता दें कि नाक से ली जाने वाली इस नैजल वैक्सिन को भी भारत बॉयोटेक ने विकसित किया है। इसे भारत सरकार के कोविन एप के साथ भी जोड़ा जा रहा है। खुद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसूख मंडविया ने यह जानकारी दी है। शुक्रवार को ही नाक की वैक्सिन को मंजूरी देने का फैसला लिया गया है।

इसे दरअसल एक बुस्टर डोज के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा। 18 साल से अधिक उम्र के लोग इस वैक्सिन का उपयोग कर सकेंगे। चीन तथा अमेरिका से वापस लौटने वाले दो लोगों में कोरोना का नया संक्रमण पाये जाने के बाद केंद्र सरकार ने फिर से कोरोना फैलने की चेतावनी दी है।

वैसे राहुल गांधी को पत्र लिखकर यात्रा रोकने की सलाह देने के बाद भी केंद्र सरकार ने इस बारे में कोई गाइड लाइन जारी नहीं किया है। दूसरी तरफ संसद में मास्क पहनकर बैठने वाले नरेंद्र मोदी को एक शादी समारोह में बिना मास्क के देखे जाने के  बाद पूरा मामला राजनीतिक बन चुका है।

अब तक जिन चार लोगों पर नये स्वरुप के वायरस के हमले की पुष्टि हुई है, वह चारों लोग स्वस्थ्य हैं। दरअसल चीन में अचानक हुए कोरोना विस्फोट और दुनिया के कई अन्य देशों में भी संक्रमण बढ़ने की वजह से भारत अपने पूर्व के कड़वे अनुभवों की वजह से पहले से सतर्क हो रहा है।

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