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दुनिया में अलग अलग कारणों से वीरान हो गये शहर भी कम नहीं

  • विजयनगर की राजधानी भी हुई तबाह

  • हर ऐसे शहर का इतिहास गौरवशाली था

  • कुछ को दोबारा बसाने की कोशिश नाकाम

राष्ट्रीय खबर

रांचीः जिन इलाकों में कभी काफी रौनक थी, जो शहर कभी आर्थिक गतिविधियों के केंद्र हुआ करते थे। जहां से सत्ता का नियंत्रण पूरे इलाके में लागू होता था, वे सभी वक्त की मार के आगे टूट गये। इन शहरों की संख्या पूरी दुनिया में कम नहीं है। अलग अलग कारणों से वहां रहने वालों ने जब शहर छोड़ दिया तो प्राकृतिक तौर पर यह शहर धीरे धीरे खंडहरों में तब्दील होते चले गये।

कुछ को पुरातत्व का महत्व होने की वजह से देश की सरकारों अथवा स्थानीय प्रशासन ने उनकी देखरख कर उन्हें जंगल में बदलने से बचा रखा है लेकिन अब कोशिशों के बाद भी इन शहरों को दोबारा बसाया नहीं जा सका। कुछ इलाके ऐसे हैं, जहां अब जंगल इन आलीशान भवनों को अपनी चपेट में लेने लगे हैं। कभी वहां की सड़कों पर दौड़ने वाली गाड़ियों भी अब जमीन के नीचे धंसती चली जा रही है।

इनमें कई पर युद्ध का असर पड़ा जबकि कुछ शहर खनिज आधारित कारोबार की वजह से बसे थे। जमीन के नीचे का खनिज भंडार समाप्त होने के बाद वहां रोजगार का कोई दूसरा विकल्प नहीं होने की वजह से वे  वीरान होते चले गये। इनमें से कई ऐसे हैं जो दूसरे विश्वयुद्ध की तबाही की कहानी आज भी बयां करते हैं।

इस वीरान शहरों में भारत का हांपी भी है। यह 14वीं और 15वीं शताब्दी में सत्ता का केंद्र हुआ करता था। इतिहास के पन्नों में दर्ज आंकड़ों के मुताबिक यह उस काल के विजयनगर साम्राज्य की राजधानी थी। दक्षिण भारत में उसे एक महत्वपूर्ण शहर माना जाता था।

16वीं शताब्दी में तब मुगलो ने यहां पर हमला किया तो यह शहर पूरी तरह तबाह हो गया। इस वजह से वहां के लोगों के चले जाने के बाद उसे दोबारा बसाया नहीं जा सके। इसके बाद भी हांपी के किलो, मंदिर और अन्य स्थान अब पुरातत्व की देखरेख की वजह से संरक्षित हैं और अब पर्यटन स्थल हैं।

नाजी हमले के दौरान दस जून 1944 को फ्रांस का ओराडूर सुर ग्लेन तबाह हो गया। नाजी सैनिकों ने यहां के अधिकांश लोगों को मार डाला था। युद्ध की समाप्ति के बाद वहां के नायक बनकर उभरे चार्ल्स डीगल ने इसे उसी अवस्था में छोड़ने का फैसला लिया ताकि लोगों को यह पता चल सके कि नाजी सैनिकों ने किस तरीके से कहर ढाया था। बाद में पर्यटकों के लिए वर्ष 1999 में एक म्युजियम वहां स्थापित किया गया है।

इंग्लैंड के वार्कशायर के जंगलों के बीच इसी तरह का गांव वारम पेर्सी है। पेर्सी परिवार के वैभव की पहचान यहां के खंडहरों से हो जाती है। वैसे इस खंडहर के आस पास इसी परिवार के दूसरे लोग बसे हैं। लिहाजा यह खंडहर होने के बाद भी पूरी तरह वीरान नहीं कहा जा सकता है।

स्पेन के गृहयुद्ध के दौरान बेलचिट युद्ध का केंद्र था। बाद में जनरल फ्रांसिसको फ्रैंको की फौज ने 1939 में इसे जीत लिया। उसके बाद यह यह इलाका वीरान हो गया। इसी तरह इटली का एक और शहर क्राको लगातार भूस्खलन की वजह से तबाह हो गया। बाद में 1980 में आये भूकंप ने इसकी रही सही कसर भी निकाल दी। नामिबिया के रेगिस्तान के करीब कोलमानस्कोप ऐसा ही शहर है, जिसका अधिकांश इलाका अब बालू में धंस चुका है। वहां के आलीशान घरों के अंदर भी बालू भर चुका है। अब दुनिया भर के पर्यटक इसे बालू भरे शहर के खंडहरों को देखने आते हैं।

इसी तरह जापान, चीन, रूस और अमेरिका में भी ऐसे कई वीरान शहर हैं। जो अब पर्यटन स्थल बन चुके हैं। इनमें से कुछ को दोबारा बसाने की कोशिश हुई थी लेकिन लोगों ने दोबारा वहां लौटकर जाना स्वीकार नहीं किया। इस कड़ी में पाइरामिडेन शायद वीरान होने वाला सबसे आधुनिक शहर है। इस शहर को रूस ने स्वीडन से खरीदा था। वहां कोयले की खदान थी। अब 1988 से वहां खदानें स्थायी तौर पर बंद हैं। फिर भी यहां पर्यटकों के लिए ठहरने का इंतजाम कायम है।

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