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संसद में हंगामा यानी जनता का नुकसान

संसद में फिर से अलग अलग मुद्दों पर हर रोज समय की बर्बादी हो रही है। ऐसा नहीं है कि जिन मुद्दों पर ऐसा हंगामा हो रहा है, वे गैर जरूरी है लेकिन इन मुद्दों को उठाने के क्रम में अगर सदन का समय नष्ट हो रहा है तो यह सीधे सीधे जनता के पैसों की बर्बादी है। पहले भी सत्ता और विपक्ष एक दूसरे पर ऐसा ही आरोप लगाते आये हैं लेकिन दोनों तरफ से सदन सही ढंग से चले, इसकी पहल नहीं हो पायी है।

अब बिहार में शराबबंदी के नाम पर भाजपा के सांसद जब हंगामा करते हैं तो उनके दिमाग में एक तीर से दो शिकार करने की सोच होती है। दरअसल नीतीश कुमार के एनडीए से अलग होने के बाद भी जदयू के सांसद हरिवंश का अब भी राज्यसभा में उपसभापति बने रहना, उनके लिए अचरज और परेशानी की बात है। लेकिन उन्हें यह भी पता है कि विरोधी दल का होने के बाद भी अगर हरिवंश इस पद पर बने हुए हैं तो उसकी असली वजह क्या है।

इसलिए वे चाहकर भी राज्यसभा के उप सभापति का खुलकर विरोध तो नहीं करते लेकिन नीतीश के बहाने अपनी नाराजगी का इजहार करने से बाज नहीं आते। दूसरी तरफ विरोधी दलों का केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप भी अब सरकार के गले में हड्डी बनता जा रहा है। इसके ऊपर अब अरुणाचल प्रदेश के तवांग में फिर से चीनी सैनिकों के साथ भारतीय सैनिकों की झड़प का नया मुद्दा आ गया है।

संसद में कांग्रेस सहित विपक्षी दलों के सदस्यों ने बुधवार को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत एवं चीन के सैनिकों के बीच पिछले दिनों हुई झड़प के मुद्दे को फिर उठाया और इस पर चर्चा कराने की मांग की। दोनों सदनों में इस मुद्दे पर चर्चा की अनुमति नहीं मिलने पर विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने वॉकआउट किया। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने शून्यकाल में चीनी अतिक्रमण के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की।

खड़गे ने कहा, ‘हमारे पास जो सूचनाएं हैं…जो जगह पहले खाली थी अब वहां पर पुल बन गए हैं…मकान बन गए हैं और…।’ इसी दौरान उप सभापति हरिवंश ने खड़गे को टोकते हुए कहा कि आज इस बारे में कोई नोटिस नहीं है।रक्षा मंत्री बयान दे चुके हैं। खड़गे अभी बोल ही रहे थे कि उप सभापति ने शून्यकाल शुरू कराया। इसी बीच, विपक्षी सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। इस बीच, खड़गे कुछ बोलना चाहते थे, लेकिन आसन ने उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी। इसके कुछ देर बाद कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल सहित कई विपक्षी दलों के सदस्यों ने विरोध जताते हुए सदन से बहिर्गमन किया।

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने इसी मुद्दे पर सदन में चर्चा की मांग की। चौधरी ने कहा, ‘1962 में युद्ध के समय संसद में चर्चा हुई थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जी ने 165 सांसदों को बोलने का मौका दिया था। हम चाहते हैं कि (तवांग में झड़प पर) यहां चर्चा हो।’ इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि इस विषय पर कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की बैठक में फैसला होगा।

जैसे ही अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही को आगे चलाने को कहा, कांग्रेस एवं तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने सरकार पर यह आरोप लगाते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया कि वह भारत-चीन सीमा मुद्दे पर चर्चा नहीं होने दे रही है। तृणमूल कांग्रेस सदस्य सुदीप बंदोपाध्याय ने इस मुद्दे पर चर्चा की मांग करते हुए कहा कि उनकी पार्टी के सदस्य सरकार के रुख के विरोध में बहिर्गमन कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को लोकसभा एवं राज्यसभा में स्वत: आधार पर दिये गये अपने बयान में बताया था कि चीन के सैनिकों ने नौ दिसंबर को तवांग सेक्टर में यांग्त्से क्षेत्र में यथास्थिति बदलने का एकतरफा प्रयास किया जिसका भारत के जवानों ने दृढ़ता से जवाब दिया और उन्हें लौटने के लिए मजबूर किया।

पूर्वी लद्दाख में दोनों पक्षों के बीच 30 महीने से अधिक समय से जारी सीमा गतिरोध के बीच गत शुक्रवार को इस संवेदनशील सेक्टर (तवांग) में एलएसी पर यांग्त्से के पास झड़प हुई। कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों ने संसद में साझा रणनीति तय करने के लिए बुधवार को बैठक की। कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के संसद भवन स्थित कक्ष में हुई इस बैठक में लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, द्रमुक नेता टीआर बालू, समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव, शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी और कुछ अन्य दलों के नेता शामिल हुए। बैठक में तृणमूल कांग्रेस सदस्य शामिल नहीं हुए। इससे स्पष्ट है कि महंगाई, बेरोजगारी और आम नागरिक मुद्दे अभी राजनीतिक तौर पर हाशिये पर धकेल दिये गये हैं।

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