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दुनिया को शीघ्र मिल सकता है प्रदूषण फैलाने वाले प्लास्टिक से निजात

  • अपनी छोटी रसोई में शुरु किया था काम

  • कंपनी का नाम भी नॉटप्ला रखा गया है

  • समुद्री खरपतवार से तैयार किया है इसे

राष्ट्रीय खबर

रांचीः ब्रिटेन की एक कंपनी ने प्लास्टिक का विकल्प तैयार किया है। इस खोज के लिए उस कंपनी को वहां एक मिलियन डॉलर का ईनाम भी मिला है। यह कंपनी पहले से ही इस दिशा में काम करती आयी है। इस बार सामान बांधने के काम आने वाली प्लास्टिक का उसने विकल्प तैयार किया है। इस नये विकल्प की विशेषता यह है कि यह प्लास्टिक की तरह पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाती है। साथ ही यह प्लास्टिक के जैसा काम करने के बाद भी खुद ही नष्ट हो जाने की क्षमता रखती है।

इसलिए अब खाने के सामान, दुकान की खरीददारी, यहां तक कि अन्य पैकेजिंग में प्लास्टिक के बदले इसका बेहतर इस्तेमाल किया जा सकेगा। अच्छी बात यह है कि इसे भी कंपनी ने अपने पूर्व उत्पादों की तरह समुद्री खरपतवार से ही तैयार किया है। इसी वजह से यह प्रकृति के अनुकूल है। ब्रिटेन ने प्रिंस विलियन के नाम पर जारी अर्थशॉट पुरस्कार इसे उत्पादन को दिया गया है।

इस नये विकल्प को बनाने का श्रेय नॉटप्ला नामक कंपनी को है। लंदन में अपना कारोबार करने वाली इस कंपनी ने इसके पहले भी समुद्री खतपतवार से एक प्लास्टिक जैसी गेंद बनाकर सभी को हैरान कर दिया था। इस कंपनी की स्थापना रॉडरिगो ग्रासिया गोंजालेस और पियरे पासलियर ने मिलकर की है।

दोनों लोग जब लंदन के इंपिरियल कॉलेज में पढ़ा करते थे, तभी उनलोगों ने यह कारोबार प्रारंभ कर दिया था। दोनों ने रॉयल कॉलेज ऑफ लंदन से भी पढ़ाई की है। उस उत्पाद के लिए जो ईनाम दिया गया है उससे कंपनी अपनी खोज को आगे बढ़ायेगी। यह ईनाम भी इसी किस्म के खोज को बढ़ावा देने के लिए दिया जाता है। पहले इनलोगों ने ओहो नामक एक बुलबुला तैयार किया था, जिसमें पानी रखा जा सकता है। प्रारंभिक परीक्षण में सफल होने के बाद अब तक कंपनी ने करीब दस लाख वैसे छोटे बक्से तैयार किये हैं, जिनमें खाना ले जाया जा सकता है।

इस ईनाम का एलान करने के साथ ही प्रिंस ऑफ वेल्स ने खुद कहा है कि इस तरीके से दुनिया की सबसे बड़ी परेशानी खत्म हो सकती है, यह बहुत बड़ी बात है। ईनाम जीतने के बाद उसके संस्थापकों ने बताया कि दोनों ने अपना काम एक अस्थायी रसोई में प्रारंभ किया था। वे मानते हैं कि प्लास्टिक के खतरों को जान लेने के बाद कोई भी प्लास्टिक के साथ रहना नहीं चाहता है।

दूसरी तरफ यह जीवन का ऐसा अभिन्न अंग बन गया है कि उसके बगैर लोगों का काम भी नहीं चलता। अब इस नये उत्पाद से कमसे कम लोगों को प्लास्टिक का बेहतर और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प देने का वह काम कर पाये हैं। इस खोज की तारीफ इसलिए भी हो रही है क्योंकि प्लास्टिक के प्रदूषण का खतरा गहरे समुद्र तक जा पहुंचा है। यहां तक कि ध्रुवो पर भी इसका कुप्रभाव वैज्ञानिक खुली आंखों से देख पा रहे हैं और उससे निजात पाने का कोई स्थायी तरीका नहीं बन पाया है। कई बार पशु पक्षियों को भी छोटे आकार के प्लास्टिक खाकर मरते पाया गया है। इसलिए प्लास्टिक का यह प्राकृतिक विकल्प शीघ्र ही पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो जाएगा, ऐसी उम्मीद की जा रही है।

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