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दो ऐसे खनिज मिले, जो पहले नहीं पाये गये

  • सोमालिया में गिरा था यह उल्कापिंड

  • इसका कुल वजन 17 टन माना गया था

  • इन दोनों के अस्तित्व का पहले पता नहीं था

राष्ट्रीय खबर

रांचीः उल्कापिंडों के अचरज का मिलना अब भी जारी है। इसके पहले भी धरती पर हुए अनेक बदलावों के लिए उल्कापिंडों को ही कारण माना गया है। अब एक बहुत भारी उल्कापिंड की खोज होने के बाद उसकी रासायनिक संरचना की जांच की गयी है। इसके एक छोटे से टुकड़े के परीक्षण में यह पाया गया है कि उस हिस्से में दो ऐसे खनिज हैं, जो इससे पहले धरती पर नहीं पाये गये हैं।

जिस उल्कापिंड की जांच हुई है वह वर्ष 2020 में सोमालिया के इलाके में आ गिरा था। इसका वजन 17 टन है। इस खोज के बाद यह उम्मीद की जा रही है उल्कापिंडों की संरचना को और बेहतर तरीके से समझने में मदद के अलावा भी धरती पर मौजूद खनिजों के बारे में और जानकारी मिल पायेगी। इन दो नये खनिजों का नामकरण भी किया गया है। उन्हें एलालाइट और एलकिनस्टानोनाइट कहा गया है। इन दोनों की खोज पहले नहीं हो पायी थी।

उल्कापिंडों के गिरने से धरती बदलती रही है, यह पहले से पता है। यह स्थापित सत्य है कि दो बड़े बड़े उल्कापिंडों के गिरने से धरती पर प्राचीन काल में मौजूद सबसे ताकतवर प्राणी डायनासोर सहित अनेक प्राचीन प्रजातियां ही समाप्त हो गयी थी।

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इसके अलावा दुनिया में अत्यंत गहराई में पाये जाने वाले सोना के बारे में भी आकलन है कि यह बेशकीमती धातु भी दरअसल उल्कापिंडों के साथ ही धरती पर आया था।

उल्कापिंड जमीन के अंदर धंस गये और जहां जहां यह उल्कापिंड धंसे वहां सोने की खदान मिली है। वैसे इस पर अभी शोध इसलिए भी चल रहा है क्योंकि अंतरिक्ष में आधे से अधिक सोना से बने एक और उल्कापिंड की पहचान हो चुकी है। जिस पर अमेरिकी अंतरिक्ष विशेषज्ञ यान भेजने की तैयारी कर रहे हैं। इस बारे में साइक अभियान का एलान किया जा चुका है। वैसे इन दो खनिजों की पहचान करने के लिए शोध दल ने सत्तर ग्राम के छोटे टुकड़े की जांच की थी।

यूनिवर्सिटी ऑफ अलबर्टा के प्रोफसर क्रिस हर्ड ने कहा कि ऐसी रासायनिक संरचना धरती पर मौजूद किसी दूसरे खनिज की नहीं है। इसी वजह से उन्हें नया खनिज माना गया है। इनकी रासायनिक संरचना के बारे में बताया गया है कि उनमें खास किस्म का लौह तत्व है। साथ ही इनमें अत्यंत बारिक परतों में सिलिकेट भी है। सिलिकेट होने की वजह से ही वे काले रंग की चमक पैदा करते हैं।

अभी वैज्ञानिक इस बात को समझने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर अंतरिक्ष में किन परिस्थितियों में उनका जन्म किसी खास रासायनिक प्रक्रिया के तहत हुआ था। यह पहले से ही पता है कि अंतरिक्ष में होने वाले भीषण सौर विस्फोटों के दौरान अनेक किस्म की रासायनिक प्रतिक्रियाएं होती हैं। इन्हीं प्रतिक्रियाओँ की वजह से अलग अलग खनिज अथवा धातु का भी जन्म होता है।

इन दो नये खनिजों के बनने की प्रक्रिया को समझ पाने पर इस बारे में और अधिक जानकारी मिल पायेगी, ऐसा शोध दल के लोग मानते हैं। दूसरी तरफ धरती पर इस खनिज का क्या बेहतर उपयोग हो सकता है, इसकी भी जांच चल रही है।

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