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यूक्रेन के तोपखाना की नाकाबी से अमेरिका चिंतित

वाशिंगटनः यूक्रेन को उपलब्ध कराये गये आधुनिक तोप भी फेल कर रहे हैं। इस सूचना ने अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है। यहां पहुंची सूचनाओं के मुताबिक यूक्रेन को साढ़े तीन सौ के करीब ह्वाइत्जर तोप दिये गये थे। अभी उनमें से एक तिहाई बेकार हो चुके हैं। इस वजह से अब यूक्रेन भी रूसी हमलों का सही तरीके से जबाव नहीं दे पा रहा है।

जांच में पाया गया है कि अत्यधिक इस्तेमाल की वजह से अथवा दूसरे तरफ के गोलों की चपेट में आने की वजह से यह अभी बेकार हो चुके हैं। इनमें से दर्जनों की मरम्मती का काम अभी चल रहा है। इस तोप के बैरल बीस फीट तक लंबा हो सकता है। इसका वजन भी काफी अधिक होता है।

कई बार एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में सही नियमों का पालन नहीं किये जाने की वजह से ऐसे अत्याधुनिक तोपों को नुकसान पहुंचता है। इस परेशानी को देखते हुए अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने आनन फानन में पौलेंड की सीमा के भीतर एक कारखाना स्थापित किया है, जहां उनकी मरम्मत की जा सके।

इस बीच यूक्रेन के अपने इस किस्म के तोप के लिए भी गोलों की कमी हो गयी है। उनका इस्तेमाल करने के लिए गोला उपलब्ध कराने में तेजी लायी गयी है। गोला नहीं होने की स्थिति में यह तोप सिर्फ सजावट की वस्तु बनकर रह गये हैं। दूसरी तरफ से रूसी सेना के हमलों में अब भी कोई कमी नहीं आयी है। अमेरिका ने यूक्रेन को अपनी एम 777 तोपें दी है। उनकी कुल संख्या 142 है जो आठ बटालियनों के लिए पर्याप्त है।

दूसरी तरफ यूक्रेन को नाटो से भी 155 मिलीमीटर वाले तोप मिले हैं। अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि गोला बारूद की कमी सिर्फ यूक्रेन को ही नहीं है। रूस ने भी अपने गोलों की आपूर्ति के लिए उत्तर कोरिया से मदद ली है। अभी स्थिति यह है कि क्षतिग्रस्त तोपों को पोलैंड पहुंचाने के बाद वहां तैनात अमेरिकी विशेषज्ञ उनकी मरम्मत कर रहे हैं।

यूक्रेन ने इस वर्कशॉप को अपनी सीमा के और करीब लाने का अनुरोध किया है ताकि मरम्मती के बाद इन तोपों को और जल्दी मोर्चे पर तैनात किया जा सके। विशेषज्ञ इस बात की भी जांच कर रहे हैं कि असली युद्ध के मोर्चों पर ऐसे तोपों से लगातार कितनी बाद गोले दागे जा सकते हैं। वरना इससे पहले इस किस्म की जांच का मौका तो कभी नहीं मिला था।

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