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ढाई हजार सालों का पुराना सपना अब जाकर पूरा हुआ

  • पहाड़ों की चीरकर तैयार हुआ है यह जलमार्ग

  • बहुत संभलकर काम करने में समय बहुत लगा

  • दोनों तरफ का फासला तीन सौ मील कम हुआ

एथेंसः इस जलमार्ग के बारे में आज से करीब ढाई हजार वर्ष पूर्व परिकल्पना की गयी थी। इतिहास के पन्नों में इसके विवरण दर्ज हैं लेकिन यह काम इतना आसान भी नहीं था। निरंतर प्रयास की वजह से अब जाकर यह कृत्रिम नहर बनकर तैयार हुआ है। इसका काम 1893 में प्रारंभ किया गया था। काफी सावधानी से इस काम को पूरा करने में इतने साल लगे हैं। अब नहर के चालू होने के बाद इसमें से पानी के जहाज आने जाने लगे हैं।

कोरिंंथ नहर से इन जहाजों के गुजरने में उन्हें इस बात का ध्यान रखना होता है कि वे अपने मार्ग से जरा सा भी इधर उधर नहीं हो। ऐसा इसलिए जरूरी है क्योंकि जहाज के जाने के रास्ते में दोनों तरफ महज कुछ ईंचों का अंतर बाकी रहता है। कोरिंथ के इलाके में इस नहर के बन जाने से लोनियन समुद्र से उसका संपर्क कायम हो गया है। इस जलमार्ग की वजह से बीच के पेलोपोनीस पेनिनसूला अब एक द्वीप मे तब्दील हो गया है।

समझा जाता है कि आने वाले दिनों में यह दुनिया का अन्यतम आकर्षक पर्यटन केंद्र भी बन जाएगा। लेकिन इस नहर को बनाने का मकसद सिर्फ पर्यटन विकास नहीं रहा था। इसके चालू होने के पानी के रास्ते आने जाने वालों का सफर करीब तीन सौ मील कम हो गया है। पहले सारे जहाजों को पूरा चक्कर लगाकर आना पड़ता था। अब यह परेशानी दूर हो चुकी है। इससे जहाजों के समुद्र तट तक पहुंचने में समय की बचत भी होगी।

अब इस नहर से आने जाने वाले पानी के जहाजों का पंजीकरण बारह हजार तक पहुंच चुका है। इसका परीक्षण कर लेने के बाद उसे चौबीस घंटे क लिए खोल दिया गया है। सिर्फ मंगलवार के दिन मरम्मती का काम चालू रखने के लिए सुबह के छह बजे से शाम के छह बजे तक यह नहर बंद रहता है। इस नहर के मालवाही जहाज भी आने जाने लगे हैं। लेकिन ऐसे भारी जलपोतों को ले जाने के लिए टगबोटों का प्रयोग हो रहा है, जो ऐसे भारी जहाजों को सुरक्षित मार्ग से खींचक गंतव्य तक पहुंचाते हैं।

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