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गंजा चूहे के सर पर बाल उगाने का प्रयोग सफल रहा है

  • चीन में किया गया है यह प्रयोग

  • अति सुक्ष्म सुइयों की मदद ली गयी

  • चूहा के बाल 13 दिनों में वापस लौटे

राष्ट्रीय खबर

रांचीः गंजापन खास तौर पर पुरुषों के आत्मविश्वास को सामाजिक तौर पर कम करता है, ऐसा माना जाता है। बदले परिवेश में अब कम उम्र के पुरुषों में इस गंजेपन का असर दिखने लगता है। वैसे गंजेपन की चिंता सिर्फ पुरुषों को ही नहीं होती बल्कि महिलाओं को भी सर पर बाल कम होने से परेशानी होती है। यह सामाजिक तौर पर संबंधित व्यक्ति को मजाक का पात्र बना देता है। अब वैज्ञानिकों ने इसके स्थायी समाधान की दिशा में एक बड़ा प्रयोग किया है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता के सहारे वैसे अति सुक्ष्म सूई विकसित किये गये हैं जो बालों को प्रत्यारोपित कर सकते हैं। इसे यंत्र को उस चूहे पर आजमाया गया है, जो गंजेपन का शिकार हो गया था। इस प्रयोग से गुजरने के बाद उस चूहे की यह परेशानी पूरी तरह खत्म हो गयी है। इसलिए शोधकर्ता यह उम्मीद करते हैं कि शीघ्र ही इंसानों के लिए भी यह विधि व्यवसायिक तौर पर इस्तेमाल होने लगेगी।

चीन के शानडोंग प्रांत के नेचुरल साइंस फाउंडेशन से प्राप्त धन के आधार पर यह शोध किया गया है। इसमें अति सुक्ष्म सूइयों को एक साथ चूहे के सर पर लगाया गया था। इसके जरिए सर पर बाल उगने के स्थानों पर जो छेद किये गये थे, उससे अंदर से दोबारा बाल उगाने में कामयाबी मिली है।

यूं तो बालों की ग्राफ्टिंग और अन्य विधियां पहले से मौजूद हैं लेकिन इस विधि के बारे में अनुमान है कि यह हर किसी के लिए आर्थिक तौर पर भी सस्ती होगी। इसमें हर किसी के लिए अलग अलग चिकित्सा विधि को कृत्रिम बुद्धिमत्ता के जरिए तय किया जाएगा। यह काम इसलिए जरूरी है कि क्योंकि हर इंसान के सर की बनावट के अलावा बालों का क्रम भी अलग अलग ही होता है। संबंधित क्षेत्र की जांच कर यह विधि खुद ही तय करेगी कि किस इलाके में इन माइक्रो नीडल्स के सहारे कितने छेद किये जाने हैं ताकि बाद में बाल दोबारा से उगने लगें।

इस शोध के बारे में दी गयी जानकारी के मुताबिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आधार पर गंजेपन के कारणों का विश्लेषण कर बालों के उगने के द्वार यानी बहुत छोटे छिद्र बनाये जाते हैं। इनके जरिए अंदर के हिस्से से बालों का उगना फिर से प्रारंभ हो जाता है। जिस चूहे पर इस विधि को आजमाया गया था, उसकी भी स्थिति लगभग गंजे जैसी थी। काम पूरा होने के बाद चूहे के सर पर दोबारा बाल उग आये हैं।

यह बताया गया है कि हर इंसान में बाल उड़ने की प्रवृत्ति अलग अलग पैटर्न की होती है। यह दरअसल तब होता है जब ऑक्सीजन मुक्त रेडिकल्स अधिक होते हैं और वे बालों की जड़ों को कमजोर करते चले जाते हैं। इससे मुक्ति पाने के लिए शोध दल ने नैनोजाइम्स बनाये हैं, जो सर के ऊपरी हिस्से की इस कमी को दूर करने में सक्षम है। इस काम के लिए शोध दल ने मेटर थाओफोस्फेट यौगिकों का प्रयोग किया है।

91 अलग अलग मॉडलों की जांच के बाद ही इसे आजमाया गया है। यह बताया गया है कि इस प्रयोग में मैंगनीज, लाल फोस्फोरस और गंधक के पाउडरों का प्रयोग किया गया है। रासायनिक प्रक्रिया से गुजरने के बाद तैयार मिश्रण जब सर के अंदर माइक्रो नीडल्स ले लगाया जाता है तो वहां बिना किसी नुकसान के दोबारा बाल उगने की स्थिति पैदा कर देता है। जिस चूहे पर इसे आजमाया गया है, उसमें तेरह दिनों के भीतर ही घने बाल उग आये थे। इसलिए भविष्य में यह विधि इंसानों के काम भी आयेगी।

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